Tuesday, September 29

Art Vibration - 399



I attend a Literature call of Sahitya Academy New Delhi

This Sunday I were fully committed with Sahitya Akademy Ravindra Bhawan New Delhi . The NGO Mukti Sansthan Bikaner was organized a Rajasthani Literature event with joint to Sahitya academy new Delhi .

I were received a invitation card in hard copy by  Crown courier , card Reg. Number 10  before  five days of that Rajasthani literature event. That event was organized at Hotel RajMahal Bikaner. 

At 10 am I were joined to that Rajasthani literature and till 6 pm I were there because I were committed with Sahitya Akademy or Mukti Sansthan for right promotion of Rajasthan I Literature . in three session I were listened to six Rajasthani story writer’s . they all were criticism on 24 other story writer of Rajasthani Language . it was plus point that Rajasthani literature event was run with Rajasthani language there they all were speaking Rajasthani language of different part of Rajasthan . so many different words and sound of Rajasthani language  I were listened to there . 

By luck in that literature event organizer was called me for submit a SOOT KI MALA  to joint secretary of Sahitya Akademy New Delhi . he is Mr. Shantanu ji .  it was  my presence sound in that literature event . so I am thankful for organizer of that literature event . 

Actually that Rajasthani Story based literature event was organized for study of other stories of Rajasthani story writer’s . I noticed six rajasthani story writer was  read to four rajasthani story writers story . so six rajasthani writer’s were read to 24 writer’s stories for that literature event .
There I saw some story writer was converted his  thought in critic angle , it was tuff job but they done it very well without any fear . ha 


After that Rajasthani literature event  I were showed  my presence by my Rajasthani writing in form of a critical Note on facebook wall page of myself . I were wrote Rajasthani after a long time  but I were wrote very well that one day live observation of Rajasthani Literature Event of Sahitya Akademy New Delhi . 

Here I want to share that Rajasthani note for your reading . sorry  I can’t translate it in English or Hindi because Google and other translator have no option of translation for Rajasthani Language or it is more critical because this language is not registered language in our Nation INDIA . but we are living to this language in Rajasthan it is our Mother tong ..so it is too much critical .. ha ha ..

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10206161066320298&set=a.1159622585403.2025211.1072945182&type=3&theater


साथियां आज मने नुतो हो साहित्य अकादेमी , रविन्द्र भवन , दिल्ली और मुक्ति संस्थान रे खानी सुं ! राजस्थानी कहाणी रे पेट तेवडियोड़े जलसे ने ऊँचे दर्जे रे रेन बसेरो राजमहल होटल बीकानेर रे माया राख्यो हो ! दिनुगे १० बजी सु लेर सिनज्या ५ ;३० बजी तक एक सार कई सत्र माया राजस्थान रे तिस कम छऊ कहाणीकार लोगा री कहाणी माथे, कोई छऊ , आज रा प्रख्यात राजस्थानी रा लिखेरा ( समीक्षा , टिप और आलोचना ) खोट कसर निकालने री हिमाकत करी ! काम दोरो हो पण पार गल्गयो अकादमी रे खेचळ सुं !
खोट कसर रे सत्र ने शुरू करण सु पेली बीज भाषण या फेरु इया केदा की कुस्ती रे अखाड़े रे नियम कायदा सुं अकादमी रा उप सचिव श्री शांतनु जी अंग्रेजी में जान पिचान कराइ ! फेरु डॉ अर्जुन देव चारण जी राजस्थानी में भाटे आगे माथो देवन री बात केता कहाणीकार री कहाणी री खोट कसर काढन रे काम ने इसोइज बतायो ! केने रो मतलन बिया पेली चेतादियो की अगले सत्रा में होने वालो कई है और कितो दोरो काम अकादमी आप रे माथे मंडियों है !
छऊ पत्रवाचका ने चार चार कहाणीकार रे कहाणी लेखन और बियारी कहाणीयाँ री खोट कसर काढण रो काम भोलायो हो ! छऊ रा छऊ लिखेरा पूरी जोर मसकत करता आप आप रा परचा मंच सुं बाच्या ! राम जाने बियाने हिम्मत किन लोक देवता या भोमियो जी सु मिली ? बेई जाने !
पेले सत्र में पत्रवाचन करण वाला दो कहाणीकार हा श्री चेतन स्वामी और डॉ नीरज दइया बीए पेलड़े सत्र रा अध्यक्ष हा श्री मोहन आलोक जी ! जिका आलोचना रे पेट वाह वाह केर काम काढण वाली कारीगिरी री बात सागे पेलड़े सत्र ने विराम दिनों !

दूजे सत्र में पत्रवाचक हा श्री मीठेश निर्मोही और श्री बुलाकी शर्मा , इये सत्र रा अध्यक्ष हा संपादक श्री रामस्वरूप किसांन जिका आपरे अध्यक्षीय बात माया कहाणी केवे किने और किया लिखी जे कहाणी , इरा कई टिप्स जेडा नुस्खा सब सागे बाँटिया !

तीजो सत्र जिको अंतिम सत्र हो बीमे परचा पढ़िया श्री मालचंद तिवारी जी और राजेंद्र जोशी जी , अध्यक्षता करता कहाणीकार मधु आचार्य जी कहाणी लिखण वाले बखत कई कई छोड़ देवनो चईजे आ बात कहाणीकार ने जे ठा होव तो कहाणी सात्री हो जावे इन सबदा सागे बिया अंतिम सत्र ने विराम दिनों !
आभार लेखक सुरेश हिंदुस्तानी जी दियो साहित्य अकादमी और मुक्ति संस्थान रे भेळप में आयोजित इये खेचळ रूपी जलसे रो !
तीनु सत्र में अलग अलग संचालक जी हां पेले सत्र में शंकर सिंह राज पुरोहित दूजे सत्र में नवनीत पाण्डेय और तीजे सत्र में चौधरी जी हा।

मान बधावन वाली बेला मने भी मंच सुं साहित्य अकादमी रे उपसचिव श्री शांतनु जी ने सूत री माला पेरवान सारू आवाज दिनी और मै बियाने माला पेरार बीकानेर री और सुं बियारो मान बधायो !

मने आज देश री सब सु बढ़ी साहित्य री संस्थान साहित्य अकादमी दिल्ली आप रे जलसे माया न्यूतियो और मने कहाणी विधा रे पेटे नीरो सारो ज्ञान राजस्थानी कहाणी विधारो करायो ! सागे सागे राजस्थान रे तिस कम छऊ कहानीकारों री लेखनी सु भी भेटा कराया आलोचनात्मक परचा रे तान और मने उक्सायो आज फेरु कई बखत रे बाद राजस्थानी में आप सु आज रे जलसे ने साझा कर सारू ! सो इन पेटे आज साहित्य अकादमी रविन्द्र भवन दिल्ली और मुक्ति संस्थान री मोकळी … जय हो …

एक चित्रराम रो गुट आज रे जलसे रो महरे कैमरे रे तान आप रे देखेण सारू 
 
But it is good think of Rajasthani language or that’s writers  they are  continue busy in writing work of Rajasthani literature . they are registering to Rajasthani language like a documents of Rajasthani Language in form of Rajasthni Literature . we can see everything in Rajasthani Literature  like poetry, story, article , doha , song, life history of great persons , translation and much more literature  like Hindi or English Literature .

Kind  your Information I were also wrote TEXT PHOTOGRAPHY in Rajasthani that is updated on  my facebook note page . and I did translated to MADHUSHALA ( poem of Dr. Harivansh Rai Bachchan )  in RAJASTHANI language . ( Danik Yugpaksh News Paper of Bikaner was published to my translated Poem Madhushala  in many week with different parts of that poem MADHUSHALA . so  you can see the natural interest of Rajasthani language in myself because I were started first pronoun-session with this Rajasthani Language . 

 So I were committed for Rajasthani literature event of Sahitya Akademy  New Delhi. 

Or here I said a attend a literature call of Sahitya Academy New Delhi …
  
Yogendra  kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA

No comments: